Thursday, January 16, 2014

इक अरसा

इक अरसा हुआ कुछ गुनगुनाए हुए...
इक अरसा हुआ खुदसे बात किये हुए...
इक अरसा हुआ दो शब्द लिखे नहीं,
इक अरसा हुआ किताब छुए हुए..

इक अरसा बीत गया तुमसे हुइ मुलाकात को..

इक अरसा हुआ देखे बरसते हुए बादल को,...
इक अरसा हुआ सुनहरी धुप देखे,
इक अरसा हुआ ठंडी हवा बदन को छुए...

इक अरसा बीत गया आईने में खुदको निहारे..
आज इक अरसा बीत गया खुलकर सांस लिए...

अचानक कहीं से दो बूँदे गिरी मुझपर औरे आवाझ आइ,
एक साल बीत गया उस हादसे को जब तुम हमेशा के लिए चले गये, लेकीन आज भी यकीं नहीं होता.....

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